ग़ज़ल
जब तेरी याद दिल में आती है,
चांदनी भी ये तन जलाती है।
रात काटी है सारी आंखों में,
याद उसकी बहुत सताती है।
वो भी सोता नहीं उधर तन्हा,
रात हिचकी बहुत ही आती है।
दिल में उठती है टीस सी अब भी,
वो दरीचे पे जब भी आती है।
याद आते ही उसकी सांसें यूं,
रातरानी महक सी जाती है।
आजमाती है ज़िन्दगी पहले,
ख़ुद ही फिर राह भी दिखाती है।
© शैलशायरी
चांदनी भी ये तन जलाती है।
रात काटी है सारी आंखों में,
याद उसकी बहुत सताती है।
वो भी सोता नहीं उधर तन्हा,
रात हिचकी बहुत ही आती है।
दिल में उठती है टीस सी अब भी,
वो दरीचे पे जब भी आती है।
याद आते ही उसकी सांसें यूं,
रातरानी महक सी जाती है।
आजमाती है ज़िन्दगी पहले,
ख़ुद ही फिर राह भी दिखाती है।
© शैलशायरी
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