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#Student_Life, Motivation, #प्रतियोगी जीवन #Highlight
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
जीना भी एक मजबूरी है,
असफलता सफलता के बीच की दूरी है,
सफल हुए बिना ये जिंदगी अधूरी है,
रोज न जाने कितने तानों को सुनना पड़ता है,
घुट घुट के ये विष जिंदगी का पीना पड़ता है,
रह जाते है अनुभव और असफलताएं जीवन मे,
ये छात्र ही है साहब, जिसे जिंदगी के हर पल को जीना पड़ता है
फिर भी जीना जरूरी है...
झूठ नही मजबूरी है,
तुम जानो क्या क्या जरूरी है।।
© Vivek
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
जीना भी एक मजबूरी है,
असफलता सफलता के बीच की दूरी है,
सफल हुए बिना ये जिंदगी अधूरी है,
रोज न जाने कितने तानों को सुनना पड़ता है,
घुट घुट के ये विष जिंदगी का पीना पड़ता है,
रह जाते है अनुभव और असफलताएं जीवन मे,
ये छात्र ही है साहब, जिसे जिंदगी के हर पल को जीना पड़ता है
फिर भी जीना जरूरी है...
झूठ नही मजबूरी है,
तुम जानो क्या क्या जरूरी है।।
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