...

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"इस भीड़ में एक सिर्फ तुम्ही अपने लगते हो "
इस भीड़ में एक सिर्फ तुम्ही अपने लगते हो,
इस कड़ी धूप में ठंडी छांव से लगते हो,
मैं जानती हूं अकेले होकर भी मैं अकेली नहीं हूं,
इस अकेलेपन में तुम मुझे कुछ ख़ास ही लगते हो।

बहुत ही अंधेरी रातें देखी है इन आंखों ने ,
उन अंधेरों में तुम मुझे रोशनी से लगते हो,
मेरे जीवन का अंधेरा तुमने रोशनी बन के मिटा दिया,
अब इस जिंदगी का तुम एक सहारा लगते हो।

तुम हो जीने का कारण मेरे,
तुम मेरी आत्मा के परमात्मा से लगते हो,
तुम मेरा ह्रदय हो और मेरी धड़कनों से लगते हो,
मेरे प्राण प्रिय तुम मुझे अपना सबकुछ ही लगते हो,
इन आंखों का इंतज़ार हो तुम ,इनके हर एक आंसू पर नाम तुम्हारा है,
बहुत बुद्धिहीन हूं मै और तुम मुझे मेरे मार्गदर्शक से लगते हो ।

भटक रही हूं भटकने ना दो मुझे ,
बहुत दर्द में हूं थाम लो मुझे ,
इस दुनिया के झूठ में तुम मुझे एकमात्र सत्य लगते हो ,
इस दुनियां के धोखे में एक तुम ही मुझे सच्चे लगते हो,
इस दुनियां से परे तुम मुझे मेरी दुनियां से लगते हो ,
हा कान्हा बस तुम ही मुझे अपने से लगते हो,
इस दुनियां की भीड़ में सिर्फ तुम्ही मुझे अपने से लगते हो।

"माधव से ज्यादा आपका अपना कोई नहीं"










© कृष्ण_प्रिया