...

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चलो रे ! इक बार;
चलो रे ! इक बार; चांद के पार,
मोहब्बत करें तुमसे दिल लगायें,
पल दो पल ही सही हम तुम्हें
तुम हमें अज़नबी ही नज़र आयें,

चलो रे ! इक बार; चांद के पार,
इश्क़ करें तेरे हुश्न में डूब ही जायें,
जीवन के दिन चार करें तुझे प्यार,
सारे ग़िले शिकवे हम तुम भूल ही जायें,

चलो रे ! इक बार; चांद के पार,
रंगों भरे फागुन की खुशियाँ मनायें,
तीन सौ पैंसठ दिनों बाद आती है होली,
क्षण भंगुर जीवन है तुम हमें हम तुझे गुलाल
लगायें,











© प्रकाश