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कभी तो जरुर कह पाऊंगी...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
इस जिंदगी की बंदिशें तोड़ जाऊंगी,
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
लोगो की सुनते सुनते थक जाऊंगी,
चुप हो जाओ अब और न सहूंगी,
जिंदगी मेरी ख्वाहिश है उसे यूं न बिखराऊंगी...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी
उन लम्हों से,
की अब मैं तुझे कब तक संजोऊंगी....
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
उन लोगो से की...
जीओ और जीने दो..
अपनी दुनिया खुद बनाऊंगी....
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
भागदौड़ वाली जिंदगी को...
रुक जा अब मैं खुद को नही दौड़ाऊंगी....
कभी तो जरुर कह पाऊंगी....
अपने मां बाप से....
बस करिए मुझे समझाना,
मुझे भी तनिक समझ लीजिए,
मेरे मन में झांक लीजिए,
वरना मैं तो मर ही जाऊंगी....
माफ करना मां पापा अगर बात मेरी गलत लगी हो,
लेकिन कभी कभी मेरी भी सुन लीजिएगा,
मुझे समझने का पर्याय चुन लीजिएगा...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
अपनी उस बहन से जो मुझसे थोड़ी दूर है,
शायद अपने कामों में मशगूल है,
की... तुझे हर बात बताने का मन होता है,
फिर तुझे देख कभी दिल रोता है,
बताऊं क्या तुझे ...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी
की जो तू न हो ...
तेरे बिना मैं क्या ही बन जाऊंगी ...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी
अपनी उस दोस्त से जिसने मुझसे नाता जोड़ तोड़ दिया,
की मुझसे बेहतर तो मिलेगी
पर मुझसी कहा मिल पाएगी?
चलो ये बात तो निराली है,
जो मुझे हमेशा चाहने वाले मेरे यार हैं,
वो तो मुझे देख कर ही मेरी खामोशी का पता लगा लेते है,
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
यार, हर बात बताने का मन करता है,
कौन कमबख्त घूंट घूंट कर रहता है,
गले लगाकर खूब रोना है,
फिर उन आंसुओ के कारण शब्दो में पिरोना है,
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
की तुम्हारे बिन जिंदगी का हर कोना बिराना है...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी...
अपनी बातों को समझा पाऊंगी,
अपने अंतर्मन को शांत कर,
जिंदगी की बंदिशें तोड़ जाऊंगी....
कभी तो जरुर कह पाऊंगी...
©Vanshika Chaubey
© All Rights Reserved
इस जिंदगी की बंदिशें तोड़ जाऊंगी,
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
लोगो की सुनते सुनते थक जाऊंगी,
चुप हो जाओ अब और न सहूंगी,
जिंदगी मेरी ख्वाहिश है उसे यूं न बिखराऊंगी...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी
उन लम्हों से,
की अब मैं तुझे कब तक संजोऊंगी....
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
उन लोगो से की...
जीओ और जीने दो..
अपनी दुनिया खुद बनाऊंगी....
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
भागदौड़ वाली जिंदगी को...
रुक जा अब मैं खुद को नही दौड़ाऊंगी....
कभी तो जरुर कह पाऊंगी....
अपने मां बाप से....
बस करिए मुझे समझाना,
मुझे भी तनिक समझ लीजिए,
मेरे मन में झांक लीजिए,
वरना मैं तो मर ही जाऊंगी....
माफ करना मां पापा अगर बात मेरी गलत लगी हो,
लेकिन कभी कभी मेरी भी सुन लीजिएगा,
मुझे समझने का पर्याय चुन लीजिएगा...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
अपनी उस बहन से जो मुझसे थोड़ी दूर है,
शायद अपने कामों में मशगूल है,
की... तुझे हर बात बताने का मन होता है,
फिर तुझे देख कभी दिल रोता है,
बताऊं क्या तुझे ...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी
की जो तू न हो ...
तेरे बिना मैं क्या ही बन जाऊंगी ...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी
अपनी उस दोस्त से जिसने मुझसे नाता जोड़ तोड़ दिया,
की मुझसे बेहतर तो मिलेगी
पर मुझसी कहा मिल पाएगी?
चलो ये बात तो निराली है,
जो मुझे हमेशा चाहने वाले मेरे यार हैं,
वो तो मुझे देख कर ही मेरी खामोशी का पता लगा लेते है,
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
यार, हर बात बताने का मन करता है,
कौन कमबख्त घूंट घूंट कर रहता है,
गले लगाकर खूब रोना है,
फिर उन आंसुओ के कारण शब्दो में पिरोना है,
कभी तो जरुर कह पाऊंगी,
की तुम्हारे बिन जिंदगी का हर कोना बिराना है...
कभी तो जरुर कह पाऊंगी...
अपनी बातों को समझा पाऊंगी,
अपने अंतर्मन को शांत कर,
जिंदगी की बंदिशें तोड़ जाऊंगी....
कभी तो जरुर कह पाऊंगी...
©Vanshika Chaubey
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