जानता क्या है
जवां तो खोल जरा आह लफ्ज दिखाई दें
निगाह बोल रही है तो फिर ख़ामोशी क्या है
जैसे उठती है कोई चिंगारी रगों को छू कर
आसमान सूरज कि रोशनी क्या है
परेशान मैं नहीं कि जानता हूं सब
वो सब जानता है के जानता क्या है
नई राह के फलसफे पुराने होगें
देखना है खुदा अब चाहता क्या है
मुस्तख़बिल कि शिकायतें कही नहीं गई
हाथों में लकीरें होने से फायदा क्या है
निगाह बोल रही है तो फिर ख़ामोशी क्या है
जैसे उठती है कोई चिंगारी रगों को छू कर
आसमान सूरज कि रोशनी क्या है
परेशान मैं नहीं कि जानता हूं सब
वो सब जानता है के जानता क्या है
नई राह के फलसफे पुराने होगें
देखना है खुदा अब चाहता क्या है
मुस्तख़बिल कि शिकायतें कही नहीं गई
हाथों में लकीरें होने से फायदा क्या है
Related Stories