जानता क्या है
जवां तो खोल जरा आह लफ्ज दिखाई दें
निगाह बोल रही है तो फिर ख़ामोशी क्या है
जैसे उठती है कोई चिंगारी रगों को छू कर
आसमान सूरज कि रोशनी...
निगाह बोल रही है तो फिर ख़ामोशी क्या है
जैसे उठती है कोई चिंगारी रगों को छू कर
आसमान सूरज कि रोशनी...