ज़ख्म
गैरों से छिपा कर
अपनों से बचा कर
ज़ख्म जो दिल में
बसा कर रखे थे
मुद्दत से न छेड़ा था
जिसको मैनें
आज नासूर...
अपनों से बचा कर
ज़ख्म जो दिल में
बसा कर रखे थे
मुद्दत से न छेड़ा था
जिसको मैनें
आज नासूर...