मोहब्बत से नफ़रत तक
#WritcoPoemPrompt22
जाने शहर का कैसा दस्तूर हो गया
अपना जो था पहले दूर हो गया
कोई खोज ख़बर नहीं, लगता है
जैसे हालतों से मजबुर हो गया
वैसे तो चाँद में भी ठहरा दाग
फिर वो इतना...
जाने शहर का कैसा दस्तूर हो गया
अपना जो था पहले दूर हो गया
कोई खोज ख़बर नहीं, लगता है
जैसे हालतों से मजबुर हो गया
वैसे तो चाँद में भी ठहरा दाग
फिर वो इतना...