मन को बहला दिया जाता है
मेरा मन करता है तुम्हें यूं अकेला देखकर,
कि मैं तुम्हें यूं समेट लूं
कि मैं तुम्हें अपनी बाहों में भर लूं
कि मैं तुम्हें हर पल संवार लूं
पर तुमने तो मुझे खुद ही खुद से दूर किया है
किस हक से मैं तुम्हें अपना...
कि मैं तुम्हें यूं समेट लूं
कि मैं तुम्हें अपनी बाहों में भर लूं
कि मैं तुम्हें हर पल संवार लूं
पर तुमने तो मुझे खुद ही खुद से दूर किया है
किस हक से मैं तुम्हें अपना...