पुलवामा घाटी
पुलवामा घाटी
देश के वीर जवानों संग घात हुआ पुलवामा घाटी में,
किन गद्दारों ने बोया RDX हिंदुस्तानी माटी में,
मारे गीदड़ शेरों को इतना उनमें साहस कहाँ,
किसने दिया भेद उनको कौन विभीषण नीच यहां।
खड़ा हिमालय चीख पड़ा लहू मिला जब माटी में,
क़ुर्बान हो गए कितने सूरज जन्नत तेरी छाती में।
सिसक रही है नन्ही कलियाँ बगिया जिनकी उजड़ गई,
कितनी धागे टूट गई खुशियां उनकी बिखर गई।
कैसे खनकेगी वो चूडी सिंदूर जिनका खो गया,
कैसे चमकेगा वो आंगन सूरज जिनका सो गया।
पत्थराई बुढ़ी आँखों से ग़म का सैलाब बह गया,
पल पल जिसको बढ़ते देखा चिथडों में वह रह गया।
बहुत हुआ अब वार करो सीधा दुश्मन के सीने में,
कब तक देखेंगे बहता खून धिक्कार! हमारे जीने में।
कब तक करे मौन, कब तक भरे घृत दिया बाती में,
किन गद्दारों ने बोया RDX हिन्दुस्तानी माटी में।
JAI HIND
चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
© Mchet043
देश के वीर जवानों संग घात हुआ पुलवामा घाटी में,
किन गद्दारों ने बोया RDX हिंदुस्तानी माटी में,
मारे गीदड़ शेरों को इतना उनमें साहस कहाँ,
किसने दिया भेद उनको कौन विभीषण नीच यहां।
खड़ा हिमालय चीख पड़ा लहू मिला जब माटी में,
क़ुर्बान हो गए कितने सूरज जन्नत तेरी छाती में।
सिसक रही है नन्ही कलियाँ बगिया जिनकी उजड़ गई,
कितनी धागे टूट गई खुशियां उनकी बिखर गई।
कैसे खनकेगी वो चूडी सिंदूर जिनका खो गया,
कैसे चमकेगा वो आंगन सूरज जिनका सो गया।
पत्थराई बुढ़ी आँखों से ग़म का सैलाब बह गया,
पल पल जिसको बढ़ते देखा चिथडों में वह रह गया।
बहुत हुआ अब वार करो सीधा दुश्मन के सीने में,
कब तक देखेंगे बहता खून धिक्कार! हमारे जीने में।
कब तक करे मौन, कब तक भरे घृत दिया बाती में,
किन गद्दारों ने बोया RDX हिन्दुस्तानी माटी में।
JAI HIND
चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
© Mchet043
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