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इश्क़ इश्क़
क्यूं लोग यहाँ इश्क़ इश्क़ करते रहते हैं
क्या है ऐसा जो इश्क़ इश्क़ करते रहते हैं
जवानी ठीक से शुरू भी ना हुई
पग अपना सही से रखने ना आया
मुख से सही से जबान बोल ना पाया
कि दर्द-ऐ-दिल आशिकी कर लिये
दे दिये दिल किसी को अपना
वो अपना दिल भले ना दिये

चलो मान भी लिया समझ भी लिया तुम्हारे इश्क़ को
पर तुम ही बोले थे ये इश्क़ है यारा
तू ना समझेगा जब तुझे होगा तभी समझेगा
पर आज तू ही मुझे इश्क़ करने से रोक रहा
बन कर उसके इश्क़ में शायर
आज मैखाने में बैठ मय से इश्क़ इश्क़ कर रहा

क्या फायदा ऐसे इश्क़ का मैं पूछता हूँ
दिखला कर जो दो चार दिन की चांदनी
गर तुम फिर ज़िंदगी भर के लिये
उसे सोच सोच कर रोता है
हाँ माना की इश्क़ है प्यार है मोहब्बत है उससे तुम्हें
मगर जब ये है तो ज़िंदगी भर के लिये क्यूं नहीं

क्यूं साथ छोड़ देते हैं लोग कुछ दिन साथ रहने के बाद
क्यूं दिखा कर हसीन से सपने तोड़ देते है दिल लग जाने के बाद
बड़ी मुश्किल से होता है भरोसा किसी पर
क्यूं तोड़ देते है लोग भरोसा पूरी तरह उन पर हो जाने के बाद
टूट कर बिखर जाता है दिल
फिर ना रह जाता है इंसान किसी काबिल

सब जान बूझ कर भी अंजाम अपने इश्क़ का
लोग यहाँ इश्क़ इश्क़ करते हैं
रहते हैं आखिर में दिल में दर्द आँखों में आँसू ले कर
ना किसी से कुछ कह पाते हैं ना कुछ बता सकते हैं
बस रह कर अकेले अकेले अपने दिल का दर्द सहा करते हैं

फिर भी सब कुछ जानते हुए भी लोग यहाँ इश्क़ इश्क़ करते हैं
ना जाने लोग यहाँ फिर भी इश्क़ इश्क़ क्यूं करते रहते हैं..

© Jazbaat-e-Dil