शायद
उसको भी किसी ने खूब समझाया है शायद,
हमें उसके अच्छे के लिए बुरा बताया है शायद।।
वो जिसे हमारे सच पर भी यकीं ना था,
उसे किसी ने अपने झूठ पर यकीं दिलाया है शायद।।
कल मेरा हाल देखकर चरागर कह रहा था,
ये असर दवा का नहीं है,
तुमने ज़हर भी आज़माया है शायद।।
जिसको चाहती है उसको पाकर भी पुरसुकून नहीं है वो,
सिला अपने किये का उसने...
हमें उसके अच्छे के लिए बुरा बताया है शायद।।
वो जिसे हमारे सच पर भी यकीं ना था,
उसे किसी ने अपने झूठ पर यकीं दिलाया है शायद।।
कल मेरा हाल देखकर चरागर कह रहा था,
ये असर दवा का नहीं है,
तुमने ज़हर भी आज़माया है शायद।।
जिसको चाहती है उसको पाकर भी पुरसुकून नहीं है वो,
सिला अपने किये का उसने...