...

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शायद
उसको भी किसी ने खूब समझाया है शायद,
हमें उसके अच्छे के लिए बुरा बताया है शायद।।

वो जिसे हमारे सच पर भी यकीं ना था,
उसे किसी ने अपने झूठ पर यकीं दिलाया है शायद।।

कल मेरा हाल देखकर चरागर कह रहा था,
ये असर दवा का नहीं है,
तुमने ज़हर भी आज़माया है शायद।।

जिसको चाहती है उसको पाकर भी पुरसुकून नहीं है वो,
सिला अपने किये का उसने पाया है शायद।।

और!! मैं अपने ज़हन का दरवाज़ा इसलिए भी बंद नहीं करता,
हर आहट पर लगता है ' वो ' आया है शायद।।

कल तलक वो दूर था मगर हमारा था,
वो वापस आया तो है मग़र पराया है शायद।।

कोई आँखें, कोई बाल, कोई सूरत- ए -हाल देखकर कह रहा है,
लगता है तुमने भी इश्क़ किसी से निभाया है शायद।।

मेहफ़िल में दर्द गाने वाले कई थे,
सुनकर हमारी आह सभी कह उठे,
लगता है दिल किसी पत्थर से तुमने लगाया है शायद।।

जिंदा तो हर कोई दिखता है यहाँ पर,
गौर से देखो तो पता लगता है,
जैसे काँधे पर बोझ कोई उठाया है शायद।।




© Himanshu