...

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हे खाँसी
हे खाँसी तेरी अजब गजब है कहानी,
तू तो यूगों से करती आ रही है अपनी मनमानी!

किसी युग में सुनी थी घर में प्रवेश करते हुए मुखिया की खाँसी,
जिसे सुन सतर्क हो जाती थी घर की जनानी!

जल पान भोजन परोसने की शुरू हो जाती थी तैयारी,
घर के मुखिया के आने की खुशी देती थी वो खाँसी!

फिर आई दादाजी की खाँसी,
जिसे सुनकर दौडे...