...

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रूबरू
छंटे अंधकार की काली बदली, तो फिर उजियारा होता है,
बीते गहन अमावस काली रात, तो फिर चांद उदित होता है।
जब थमती है मूसल वारिस, तब इंद्रधनुष खिलता है,
सप्त रंग की आभा खिल, नभ मनमोहक करता है।

क्या बिना तपे सूरज के कभी, यह जग जगमग होता है?
क्या बिना जले इंधन के कभी, इंजन सरपट चलता है?
कांटो का संरक्षण पा निर्भय, गुलाब पुष्प खिलता है,
प्रेमी युगल को बांध बंधन में, स्नेह रंग भरता है।

क्या बिना सहे वार...