...

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#कलम युद्ध
#वीर-पुत्र
है हिम्मत तुझमें सूर्य पुत्र
चल दो चल दो हे! वीर पुत्र
धर धीरज मन में धीर पुत्र
तुमको हैं युद्ध कई लड़ने,
पर्वत है कई तुम्हें चढ़ने,
है साहस तुझमें वीर पुत्र ।

निज सम्मान न खोना तुम,
नफरत के बीज न बोना तुम,
न बल का कर प्रयोग कहीं
हिंसा का मार्ग न लेना तुम,
है संयम तुझमें हे वीर पुत्र ।।

क्यों ताने हैं तीर कई,
यूं तलवारें क्यों तानी हैं ?
लक्ष्य तेरा है होना विजयी,
बिन रक्त बहाए लड़ बाजी
चल 'कलम' उठा कर बिगुल बजा।
है मानवता तुझमें वीर पुत्र।