...

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अफसाना लिख रही हूँ........
✍️✍️अफसाना लिख रही हूँ ✍️✍️
. अफसाना लिख रही हूँ उस भूले बिसरे यादों में,
तितलियों सा मचल रहा था दिल अपना भी किसी जमाने में,

जिंदगी का वो सुहाना वक़्त कट रहा था,
रूठने मनाने में और मुँह बिचकाने में,.
जहाँ रह गई थी ये जिंदगी सिमट कर तेरे मेरे अफसाने में,

सोचता था दिल शायद कुछ वक़्त लगे
एक दूसरे के करीब आने में,
पर गर्दिश में थे अपने भी सितारे लगे रह गए,
हम इस प्यार को दुनिया से छिपाने में........,

हुई थी कुछ बातें तेरे मेरे नैनों के इशारे में....,
अब तो ना कोई शिकवा ना कोई गिला है,
ना कोई ख्वाब बचा है तेरे मेरे अफसाने में...,

अफसाना लिख रही हूँ लहराते जुल्फों के जंजीर का,
मचलते दिलों के ख्वाबों के ताबीर का!!!
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