कावडियाॅ
#शहरीकिंवदंती
चली सवारी गंगा घट से,
शिव प्राप्ती की आश में,
वो पर्व शिवरात्रि का था ,
भोले के भक्तों और कालोनियों के प्यार का था,
आते लोग दूर दराज से,
पर भूल जाते एक रात में,
बहारी अडम्बर और दिखावे की आश में,
केदारनाथ अमरनाथ या हरिद्वार का पाखंड हो,
एक दिन हर बैल नंदी हो ,
या कण...
चली सवारी गंगा घट से,
शिव प्राप्ती की आश में,
वो पर्व शिवरात्रि का था ,
भोले के भक्तों और कालोनियों के प्यार का था,
आते लोग दूर दराज से,
पर भूल जाते एक रात में,
बहारी अडम्बर और दिखावे की आश में,
केदारनाथ अमरनाथ या हरिद्वार का पाखंड हो,
एक दिन हर बैल नंदी हो ,
या कण...