13 views
ग़ज़ल
उनसे हुआ है इश्क़ जताऊं मैं किस तरह,
मन में दबी वो बात बताऊं मैं किस तरह।
तोड़े हैं ज़िन्दगी ने कई ख़्वाब जब मेरे,
ख़्वाबों में तुमको अपने सजाऊं मैं किस तरह।
तुम हो ख़फ़ा उधर तो मैं बेचैन हूं इधर,
तुम ही बताओ तुमको मनाऊं मैं किस तरह।
पलकों पे उसकी याद लिए रात ढल गई,
उस बेवफा को दिल से भुलाऊं मैं किस तरह।
खुशबू से उसकी अब भी महकता है घर मेरा,
दिल है उधेड़बुन में बुलाऊं मैं किस तरह।
सबकी जुबां पे ज़िक्र है अब तो तेरा मेरा,
चेहरे से अपने इश्क़ छुपाऊं मैं किस तरह।
© शैलशायरी
मन में दबी वो बात बताऊं मैं किस तरह।
तोड़े हैं ज़िन्दगी ने कई ख़्वाब जब मेरे,
ख़्वाबों में तुमको अपने सजाऊं मैं किस तरह।
तुम हो ख़फ़ा उधर तो मैं बेचैन हूं इधर,
तुम ही बताओ तुमको मनाऊं मैं किस तरह।
पलकों पे उसकी याद लिए रात ढल गई,
उस बेवफा को दिल से भुलाऊं मैं किस तरह।
खुशबू से उसकी अब भी महकता है घर मेरा,
दिल है उधेड़बुन में बुलाऊं मैं किस तरह।
सबकी जुबां पे ज़िक्र है अब तो तेरा मेरा,
चेहरे से अपने इश्क़ छुपाऊं मैं किस तरह।
© शैलशायरी
Related Stories
13 Likes
6
Comments
13 Likes
6
Comments