...

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मेरी हर एक बात हो तुम
मेरी अधरो कि हर एक बात हो तुम,
मेरी जन्मों जन्मों कि मुलाकात हो तुम।।
मेरा दिल ठहरा रूखा प्यासी धरा सा,
मेरे प्यासे होठों की बरसात हो तुम।।

मेरी नजरों को तलब सिर्फ तेरी है,
सच कहुं तो तु मोहोब्बत सिर्फ मेरी है।।
बैचेनी सी हो जाती मेरे दिल को तेरे बगैर,
मेरी ये चलने वाली सांसे सिर्फ तेरी है।।

तुम्हें सजाकर मेने दिल के आईने में रखा है,
दिल की कहूं तो तुम्हें सही मायने में रखा है।।
सिसक उठाती है ये रूह मेरी तेरे दीदार को,
मैने अपनी नजरों में सिर्फ तुम्हें बसा रखा है।।

भूल से भी अपना दिल तुम्हें सच में खोना नही चाहता,
तेरे सिवा किसी और की याद में रोना नहीं चाहता।।
मनोज पुष्प बन बिखर जाऊं तेरे कदमों मैं,
पुष्प के सिवा मनोज किसी और का होना नहीं चाहता।।

रूह अंश हो तुम मेरा श्रृंगार हो तुम,
मेरी जीत हो तुम मेरी हार हो तुम।।
मेरा संगम हो तुम मेरा प्यार हो तुम,
मेरा इजहार हो तुम मेरा दिलदार हो तुम।।
मुझसे जो भी हो आर पार हो तुम.💞🅿️💞
© Manoj Vinod-SuthaR