...

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अब वो इन्सान नहीं हैं
गम यह नहीं है मुझको, कि बुरे लोग बहुत हैं
गम तो यह है कि अब, वो अच्छे लोग नहीं हैं

हम तो यही थे कल तक, और आज भी यही हैं
पर जो जुल्म से लड़ सके, साथ में वो कंधे नहीं हैं

वो खो गए हैं प्यार में, या कहीं खुद में ही गुम हैं
जो सोचते थे भला सबका, वो दिलदार नहीं हैं

गुनहगार गुनाह करके, बाजारों में खुले घूमते हैं
इन जाहिलों को मिटा सके, अब वो जांबाज़ नहीं हैं

जुल्मों की कहानियों से, अख'बार भर गए हैं
हम जैसे मज़लूमों के अब, यहां कोई यार नहीं हैं

कैंडल जलाने वाले तो, अभी बहुत है लेकिन,
जो एहतिराम करें दिल से, अब वो इन्सान नहीं हैं

© Vineet