...

5 views

"निष्ठुर प्रेम "
मैं पाषाण निष्ठुर,
हृदय मेरा सिल समान।
अंकुरित ना हो पायेगा
प्रेम बीज,
ना करो तुम प्रयास।

मैं निर्मोही उग्र मिजाज,
तुम कोमल शांत स्वभाव।
निर्वाह न कर पाऊँगा,
नहीं है मुझे प्रेम का ज्ञान।

तुम प्रेम की अविरल धारा,
मैं पंक लिप्त कलुषित काया।
प्रेम पथ पर न चल पाऊँगा,
निभा पाऊँगा न साथ तुम्हारा।

दुख के सिवाय
कुछ न दे पाऊँगा,
मान लो मेरी बात।
प्रेम मेरा निष्ठुर है प्रिय,
ना करो तुम प्रयास।