अनुभवों की सीढ़ियां पे ठोकर खाकर बैठा हूं
ज़रा सी ठोकर से पूरी कहानी बदल गई
ज़िंदगी की तो हर इक निशानी बदल गई
कहने को तो मेरे नज़दीकी हर इक शख़्स था
अब तो धीरे-धीरे वक़्त की रवानी बदल गई
इन निगाहों में उस दर्द की दास्तां मौजूद है
बस ख़ामोशी से ज़ख़्मों की जवानी बदल गई
यूं ही नहीं सबके सामने बैठकर मुस्कुरा रहा हूं
हाल-ए-हालातों से सब मुंह ज़बानी बदल गई
चंद मिनटों में...
ज़िंदगी की तो हर इक निशानी बदल गई
कहने को तो मेरे नज़दीकी हर इक शख़्स था
अब तो धीरे-धीरे वक़्त की रवानी बदल गई
इन निगाहों में उस दर्द की दास्तां मौजूद है
बस ख़ामोशी से ज़ख़्मों की जवानी बदल गई
यूं ही नहीं सबके सामने बैठकर मुस्कुरा रहा हूं
हाल-ए-हालातों से सब मुंह ज़बानी बदल गई
चंद मिनटों में...