...

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कुबूल है
कुबूल है जिंदगी का हर तोहफ़ा
मैंने ख्वाहिशों का नाम, बताना छोड़ दिया

जो दिल के क़रीब हैं, वो मेरे अजीज़ है
मैंने गैरों पे हक़ जताना छोड़ दिया

जो समझ ही नहीं सकते दर्द मेरा
मैंने उन्हें ज़ख्म दिखाना छोड़ दिया

जो गुजरती हैं दिल पे हक़ीक़त हैं मेरी
मैंने दिखावे के लिए, मुस्कुराना छोड़ दिया

जो महसूस ही नहीं करते ज़रूरत मेरी
मैंने उनका साथ निभाना छोड़ दिया,

जो चाहतें है रहना बस नाराज़ मुझसे
मैंने उन्हें बार बार, मनाना छोड़ दिया

जो मेरे अपने हैं, वो मिलेंगे ज़रूर मुझे
मैंने बेवजह बंदिशे, लगाना छोड़ दिया

- मनमौजी