रिश्वतखोरी की जड़े
हर तरफ छाई रिश्वतखोरी है,
ये बेईमानी और चोरी है।
इसके कारण गरीबी रोरी है,
क्या जनता सारी सो री है।
चाहिए नौकरी सरकारी है
फिर खाते मुक्त की तरकारी हैं।
इनकी जेबें रहती सदा भारी है
ये हमारे कानून के हत्यारी है,
फिर भी क्यूँ सो रही जनता सारी है।
घर वाले कहते हैं देखो बाबू बनकर आया है
ये न समझा कितनों की मेहनत...
ये बेईमानी और चोरी है।
इसके कारण गरीबी रोरी है,
क्या जनता सारी सो री है।
चाहिए नौकरी सरकारी है
फिर खाते मुक्त की तरकारी हैं।
इनकी जेबें रहती सदा भारी है
ये हमारे कानून के हत्यारी है,
फिर भी क्यूँ सो रही जनता सारी है।
घर वाले कहते हैं देखो बाबू बनकर आया है
ये न समझा कितनों की मेहनत...