...

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रिश्वतखोरी की जड़े
हर तरफ छाई रिश्वतखोरी है,
ये बेईमानी और चोरी है।
इसके कारण गरीबी रोरी है,
क्या जनता सारी सो री है।

चाहिए नौकरी सरकारी है
फिर खाते मुक्त की तरकारी हैं।
इनकी जेबें रहती सदा भारी है
ये हमारे कानून के हत्यारी है,
फिर भी क्यूँ सो रही जनता सारी है।

घर वाले कहते हैं देखो बाबू बनकर आया है
ये न समझा कितनों की मेहनत ये चुरा लाया है।
फिर सोता है मखमली बिस्तर पर करता है आराम,
इसके कारण ईमानदार भी होते हैं बदनाम ।।
रिश्वतखोरी की जड़े हैं बड़ी गहरी
इसके कारण गरीबों के विकास की पहिया ठहरी।
पहुँचो अब बाबू के बाबू तक जो धौंस जमाए बैठा था,
बाबू की रिश्वत का 45% ही उसका था।
बाकी पहुँचा बाबू के बाबू तक
जो मानता था घूसखोरी को अपनी आदत,
घर में बैठकर करता रहता रिश्वत की इबादत ।।

सबतो भ्रष्टाचारी- रिश्वतखोर हैं,
किस-किस को हम पकड़े।
छोडो पत्तों को पकड़ना,
अओ जड. को ढूँढ हम जकड़े ।।
© VSAK47