पहचान
हसीन वादियों की फिजा में
तेरी और मेरी हर इक रजा में
ढूंढता हूं अपना वजूद
अपनी पहचान
खो दिया है तुमझें जो वजूद
पिरो रहा...
तेरी और मेरी हर इक रजा में
ढूंढता हूं अपना वजूद
अपनी पहचान
खो दिया है तुमझें जो वजूद
पिरो रहा...