...

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मोक्ष

न जाने कल क्यों एक
जानी पहचानी सी आवाज़ आई
पीछे मुड़कर देखा तो
सिर्फ खाई ही नज़र आई

अब सब लोग लगते है अजनबी
और अनजान हर जगह
न जाने क्यों ये बेबस बादल
बरसे मुझ पर ही
हर पल हर बकत और हर दफा

आज फिर से खो गया हूँ
नहीं पता की मैं हूँ कहा
जाना चाहता हूँ बहा
जिस जगह टुटा हो हर कांच ,
हर शख्स यूँ ही बेबजह

सोचता हूँ थोड़ी सी
कलम ही घुमाई जाएँ
भुलाया न जा रहा जो शख्स
क्यों न...