...

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समय की धारा में ....सब बह जाएगा 🍂

थोड़ा सा जीवन
थोड़ी सी आशाएं
कितने शेष हैं श्वास
कितने सपनों के अवशेष....

युद्ध हर दिन का
भटकता इधर उधर
कहाँं कितना है ठहरना
कहाँ...