कुछ इस तरह
करते हैं प्यार जिसे हम जान की तरह
वो जान के मिलता हैं अंजान की तरह
ये तन्हाईयाँ ये ख़ामोशियाँ तो गवाह हैं
हम अपने ही घर में मेहमान की तरह
हम चेहरों में छुपाए...
वो जान के मिलता हैं अंजान की तरह
ये तन्हाईयाँ ये ख़ामोशियाँ तो गवाह हैं
हम अपने ही घर में मेहमान की तरह
हम चेहरों में छुपाए...