शायद मैं भी
शायद मैं भी वही करता जो सब चाहते हैं तुमको देख कर
मैं भी तो आदमी ही हूं पर थोड़ा सम्मान से संयम से सोच कर
मैं मूलभूत प्रवृत्तियों को अपनी इंद्रियों को
संयमित अधिक नहीं रख सकता
मैं अपने मनोभावों को अधिक देर तक छिपा
नहीं रख सकता
मैं महात्मा नहीं मैं बुद्ध नहीं, मैं जिंदा हूं अपने पुरुषत्व के साथ
हां मैं...
मैं भी तो आदमी ही हूं पर थोड़ा सम्मान से संयम से सोच कर
मैं मूलभूत प्रवृत्तियों को अपनी इंद्रियों को
संयमित अधिक नहीं रख सकता
मैं अपने मनोभावों को अधिक देर तक छिपा
नहीं रख सकता
मैं महात्मा नहीं मैं बुद्ध नहीं, मैं जिंदा हूं अपने पुरुषत्व के साथ
हां मैं...