...

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तेरा चेहरा
मेरी यादों में
तेरा चेहरा
इस कदर धुंधला हो चला है
कि
तू सामने भी आ जाए
तो शायद
पहचान न पाऊँ ।
हाँ
कुछ अल्फाज़,कुछ अंदाज़
आज भी
उतने ही ताज़े हैं
जितने मेज़ पर रखे फूल
उनका रंग
उनकी महक,उनकी ताज़गी
जानते हो
आज भी सुबह होती है
सूरज उगता है
उसकी रोशनी में
तेरे आने का
अहसास होता है
आज भी
शाम होने पर
जब चांद निकलता है
अक्सर
उस चांद में मुझे
तेरा अक्स
नज़र आता है।
© Shivani Singh