...

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सत्य है।
अथर्व क्रीड़ा है या लोक नाश,
जीवन हो चूका शोक नाच,
संपूर्ण, महज़ शब्द आज,
वीर रक्त में ना अब बची आग।

न अस्र् ज्ञान न रोध्र रूप,
र्निजिवित नेत्रों को भस्म करे तीव्र धूप,
भय छाया है, है छाया मौन,
त्याग मन अब लडे कौन?

- कृत
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