4 views
ग़ज़ल...
सारे जहाँ में, एक तुम ही अपनी लगती हो
मेरे ख्वाबों की रानी, मेरी सजनी लगती हो
भेजा हो उस ख़ुदा ने, फकत तुम्हें मेरे लिए
सिर्फ तुम्हीं हो, जो मेरे लिए बनी लगती हो
लाखों चेहरे देखे, मगर कोई तुम-सा नहीं
नज़र नहीं हटे, तुम सुंदर इतनी लगती हो
मेरी जिंदगी है, जैसे तपता हुआ रेगिस्तान
तुम जैसे काली-घटा, छाँव घनी लगती हो
तुम्हें पाकर, मानो ग़मों की शाम ढ़ल गई
'नीर' मेरे अंधेरों में, तुम रोशनी लगती हो।
© @nirmohi_neer
मेरे ख्वाबों की रानी, मेरी सजनी लगती हो
भेजा हो उस ख़ुदा ने, फकत तुम्हें मेरे लिए
सिर्फ तुम्हीं हो, जो मेरे लिए बनी लगती हो
लाखों चेहरे देखे, मगर कोई तुम-सा नहीं
नज़र नहीं हटे, तुम सुंदर इतनी लगती हो
मेरी जिंदगी है, जैसे तपता हुआ रेगिस्तान
तुम जैसे काली-घटा, छाँव घनी लगती हो
तुम्हें पाकर, मानो ग़मों की शाम ढ़ल गई
'नीर' मेरे अंधेरों में, तुम रोशनी लगती हो।
© @nirmohi_neer
Related Stories
7 Likes
0
Comments
7 Likes
0
Comments