तभी होगा नारी का सशक्तिकरण
जब सास को बहू बेटी सी भायेगी,
और बहू को भी सास में माँ नज़र आएगी,
जब ननद भाभी को सहेली सा पाएगी,
और भाभी ननद को बहन सा अपनायेगी,
जब होगा इन रिश्तों में होगा ऐसा अपनापन,
तभी होगा नारी का सशक्तिकरण ।
जब दहेज नहीं मांगा जायेगा,
और दहेज को अभिशाप माना जायेगा,
जब दुल्हन को ही लक्ष्मी जाना जाएगा,
और दुल्हन का पिता यथोचित सम्मान पायेगा,
जब बिना दहेज के होने लगेगा पाणिग्रहण,
तभी होगा नारी का सशक्तिकरण।
जब पति कहेगा पत्नी से,
तुम्हारे भी सपनों का पूरा होना है ज़रुरी,
नहीं तो मेरे साथ रहकर तुम रहोगी अधूरी,
जब मेरा सरनेम लगाना नहीं होगा तुम्हारी मजबूरी,
और...
और बहू को भी सास में माँ नज़र आएगी,
जब ननद भाभी को सहेली सा पाएगी,
और भाभी ननद को बहन सा अपनायेगी,
जब होगा इन रिश्तों में होगा ऐसा अपनापन,
तभी होगा नारी का सशक्तिकरण ।
जब दहेज नहीं मांगा जायेगा,
और दहेज को अभिशाप माना जायेगा,
जब दुल्हन को ही लक्ष्मी जाना जाएगा,
और दुल्हन का पिता यथोचित सम्मान पायेगा,
जब बिना दहेज के होने लगेगा पाणिग्रहण,
तभी होगा नारी का सशक्तिकरण।
जब पति कहेगा पत्नी से,
तुम्हारे भी सपनों का पूरा होना है ज़रुरी,
नहीं तो मेरे साथ रहकर तुम रहोगी अधूरी,
जब मेरा सरनेम लगाना नहीं होगा तुम्हारी मजबूरी,
और...