किताब मन की 📖
सुबह जगने के बाद,
रात सोने के पहले तक
कार्य स्थल हो या
चलते हुए रास्तों में
कुछ करते या सोंचते हुए,
मन की आँखो से झांकते रहते
पढ़ लेते,फिर बोलते या
लिखते, और बताते,
कभी खुद को कभी और से
तन्हाइयों में दोस्त,
ग़मो में...
रात सोने के पहले तक
कार्य स्थल हो या
चलते हुए रास्तों में
कुछ करते या सोंचते हुए,
मन की आँखो से झांकते रहते
पढ़ लेते,फिर बोलते या
लिखते, और बताते,
कभी खुद को कभी और से
तन्हाइयों में दोस्त,
ग़मो में...