वो चमचमाता सा
उठती सुबह दिल खिल उठता
उसको देखू आकर्षित सा
वो पुलकित सा हरसाया सा
मन की दुविधा से दूर लगा
मूझे देख के उसको सुकून मिले
मन को मानो एक जूनून मिले
सुबह उसकी लालिमा मेरे
पर्दो पे मुझे उठाती हैं थोड़ा
तो मुझे वो निखारती हैं
फूलो के बीच से देखो तो
वो अदभुद कोई चीज लगे
वृछों के पत्तो से ऐसे छने
जैसे चलनी में से चांद दिखे
दुनिया को दिखाए ऐसे वो
जैसे एक जगह आराम करे
पर हमे सिखाए वो सूरज
दुनिया कैसे व्यायाम करे
गर सिख सको उससे सीखो
वो खामोशी से काम करे
उसकी गति का अनुमान करो
जीवन को छड़ भर ना रोको
चलते रहना है काम यही
जीवन का मूल व्यायाम यही
उसको देखू आकर्षित सा
वो पुलकित सा हरसाया सा
मन की दुविधा से दूर लगा
मूझे देख के उसको सुकून मिले
मन को मानो एक जूनून मिले
सुबह उसकी लालिमा मेरे
पर्दो पे मुझे उठाती हैं थोड़ा
तो मुझे वो निखारती हैं
फूलो के बीच से देखो तो
वो अदभुद कोई चीज लगे
वृछों के पत्तो से ऐसे छने
जैसे चलनी में से चांद दिखे
दुनिया को दिखाए ऐसे वो
जैसे एक जगह आराम करे
पर हमे सिखाए वो सूरज
दुनिया कैसे व्यायाम करे
गर सिख सको उससे सीखो
वो खामोशी से काम करे
उसकी गति का अनुमान करो
जीवन को छड़ भर ना रोको
चलते रहना है काम यही
जीवन का मूल व्यायाम यही