अजनबी दीदार...🔥
तेरे दीदार को हम बरसों से तरसे हैं,
तुझे देखते ही हम सावन की तरह बरसे हैं
तन्हा बीत रही थी जिंदगी मेरी
इन तन्हाईयो का वास्ता जो तेरे घर से हैं
ऎ खुदा
ये वियोग की बेला बड़ा कहर ढाती हैं
मेरे आसुओ में बस वो ही नजर आती हैं
कैसा दर्द होता होगा उसकी रुह को
उसके चेहरे पर याद बनकर जो सताती हैं
एक बात पूछे खुदा!
ये प्यार आखिर क्या होता है
अगर होता हैं, तो कोई इसे क्यों खोता है
बहुत कम को...
तुझे देखते ही हम सावन की तरह बरसे हैं
तन्हा बीत रही थी जिंदगी मेरी
इन तन्हाईयो का वास्ता जो तेरे घर से हैं
ऎ खुदा
ये वियोग की बेला बड़ा कहर ढाती हैं
मेरे आसुओ में बस वो ही नजर आती हैं
कैसा दर्द होता होगा उसकी रुह को
उसके चेहरे पर याद बनकर जो सताती हैं
एक बात पूछे खुदा!
ये प्यार आखिर क्या होता है
अगर होता हैं, तो कोई इसे क्यों खोता है
बहुत कम को...