मकां क्या है
वो रोज़ आईने ख़ुद देखते रहते हैं,
कभी ख़ुद से दुनिया से फरेब करते हैं,
क्या ख़ूब ख़ेल है...
कभी ख़ुद से दुनिया से फरेब करते हैं,
क्या ख़ूब ख़ेल है...