...

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हमारे दरमियाँ,अब हम नहीं है
हमारे दरमियाँ, अब हम नहीं है। 
बातें, मुलाकातें, तो अब भी होती है। 
पर अब समय, पहला सा नहीं है। 

हमारे दरमियाँ,अब हम नहीं है। 

वक्त के साथ सबकुछ,
मतलबी सा हो गया है।
अपने तो आज भी है,
अपनापन खो गया है।
 
अब हर मुलाकात में,बस मतलब ही है।
हमारे दरमियाँ, अब हम नहीं है। 

बहुत सी प्यारी यादें,
अब भी हमारे पास है। 
हँसना, खेलना, मस्ती करना,
वो एक एक लम्हा, बहुत खास है। 

तस्वीरें तो आज भी है,
पर कई अपने नहीं है। 
हमारे दरमियाँ, अब हम नहीं है। 

बदलाव तो जीवन का नियम है। 
शायद यही हमारा जीवन है। 
पर क्या करें, ये दिल मानता नहीं है। 

हमारे दरमियाँ, अब हम नहीं है। 
बातें, मुलाकातें, तो अब भी होती है। 
पर अब समय, पहला सा नहीं है। 

हमारे दरमियाँ,अब हम नहीं है। 

© Sukhbir Singh Alagh