...

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शुक्रिया!...
परिंदे, पौधे, बेजुबान, जमीं और आसमां तक ही मेरा सिलसिला रहा है।
मुझे सही और गलत में फर्क समझाने वाला,
कोई खुदा सा ही मिलता रहा है।
कोई मेरे गम की वजह न...