...

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अधूरी मोहब्बत
अधूरी मुहब्बत को जाना पड़ेगा,,
नया इश्क़ फिर आज़माना पड़ेगा,,

ये ठाना है अब तो बहस भी ना होगी
अना को भी हद से झुकाना पड़ेगा,,

यूँ तारीफ़ के पुल बनाने है जम के
अभी ज़ोर थोड़ा लगाना पड़ेगा,

वो चाहे मुहब्बत किफ़ायत से ख़र्चे
मुझे किश्तों में दिल कमाना पड़ेगा,,

तग़ाफ़ुल से बेशक वो जितना जलाये
भरी आँख से मुस्कुराना पड़ेगा,,

ज़रूरत पे अक़्सर ना मुझको मयस्सर
मुझे तो मरासिम निभाना पड़ेगा,,

भले हों मोहब्बत के झूठे से दावे
तो पैबंद उस पर लगाना पड़ेगा,,

हां ये इश्क़ की कोई मंज़िल नही है
फ़क़त रास्तों को सजाना पड़ेगा,,

तुझे चुन लिया है ये दिल ने जो मेरे
तो "व्याकुल" की बाहों में आना पड़ेगा,,
तग़ाफ़ुल- ignore
मयस्सर- available
*विकास जैन व्याकुल*
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