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ज़िन्दगी का सफ़र
ऐ! ज़िन्दगी तेरा सफ़र अभी बाकी है
नए शहर में अपना ठिकाना बाकी है
पुराने पता का निशान मिटाना अभी बाकी है
रास्ता चल रहे मंज़िल तक पहुंँचना बाकी है
चले थे हाथ पकड़ साथ निभाना अभी बाकी है
ख़्वाब जो देखा उसको सच करना बाकी है
ख़ुद का पहचान बनाना अभी बाकी है
ग़म को लगा कर गले खुशी पाना अभी बाकी है
वक्त और अपने बदल गए ख़ुद को बदलना बाकी है
सबसे कर ली मोहब्बत ख़ुद से करना अभी बाकी है
ज़ख्म कहांँ कहांँ और कितने मिले इनका हिसाब करना बाकी है
ऐ! ज़िन्दगी तू बता कब तक तेरा सफ़र बाकी है
उम्र गुज़री फ़िर भी ज़िन्दगी का तजुर्बा अभी बाकी है
हम तिल तिल मरते हैं हर रोज पंचतत्व में बस मिलना बाकी है
तराश रही हूंँ ख़ुद का लेखन लेखक बनने का सफ़र अभी बाकी है
तन्हा शाम अकेली रातें बस लिखती रहूंँ सर्वश्रेष्ठ लेखन अभी बाकी है
© rimjhim thoughts
नए शहर में अपना ठिकाना बाकी है
पुराने पता का निशान मिटाना अभी बाकी है
रास्ता चल रहे मंज़िल तक पहुंँचना बाकी है
चले थे हाथ पकड़ साथ निभाना अभी बाकी है
ख़्वाब जो देखा उसको सच करना बाकी है
ख़ुद का पहचान बनाना अभी बाकी है
ग़म को लगा कर गले खुशी पाना अभी बाकी है
वक्त और अपने बदल गए ख़ुद को बदलना बाकी है
सबसे कर ली मोहब्बत ख़ुद से करना अभी बाकी है
ज़ख्म कहांँ कहांँ और कितने मिले इनका हिसाब करना बाकी है
ऐ! ज़िन्दगी तू बता कब तक तेरा सफ़र बाकी है
उम्र गुज़री फ़िर भी ज़िन्दगी का तजुर्बा अभी बाकी है
हम तिल तिल मरते हैं हर रोज पंचतत्व में बस मिलना बाकी है
तराश रही हूंँ ख़ुद का लेखन लेखक बनने का सफ़र अभी बाकी है
तन्हा शाम अकेली रातें बस लिखती रहूंँ सर्वश्रेष्ठ लेखन अभी बाकी है
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