...

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तुम्हें नहीं भावी अन्दाज़ा

शहर में खड़ा है एक खूबसूरत जंगल ,
जिसमें उगे हैं सीमेंट क्रांकीट के मकान
सड़क पटी है पक्की क्रांकीट/ डामर से
मिट्टी धूल का दूर दूर नहीं नामोनिशान

सुकून है लोगों की जिन्दगी में ,
रफ़्तार है ,बिना सोये चलता है शहर
दिनरात का पता नहीं चलता होती नहीं पहचान !!

एक जिद्दी पौधा धता बताकर सीमेंट प्लास्टर को
उग आया जीतकर चुनौती घमासान ,
कह रहा मानों बात मेरी ,मत ढापों जमीन यूँ नादान,
तुम्हें नहीं भावी अन्दाज़ा नहीं...