...

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क्या सिर्फ़ मेरी ही थी गलती
क्या सिर्फ़ मेरी ही गलती थी,
या तुमने भी कुछ तो छुपाया था?
क्या सिर्फ़ मैं ही था जो टूटा,
या तुमने भी कुछ खोया था?

क्या सिर्फ़ मेरी ही आँखों में थे आँसू,
या तुम्हारी पलकों ने भी कुछ बहाया था?
क्या सिर्फ़ मेरी ही आवाज़ में था दर्द,
या तुम्हारे लहजे ने भी कुछ जताया था?

क्या सिर्फ़ मेरी ही यादों में थी कसक,
या तुम्हारे दिल ने भी कुछ महसूस किया था?
क्या सिर्फ़ मेरी ही थी तन्हाई,
या तुमने भी कुछ अकेलापन पाया था?

क्या सिर्फ़ मैं ही था जो रुठा,
या तुमने भी कुछ रूठने का बहाना ढूंढा था?
क्या सिर्फ़ मेरी ही थी गलती,
या तुमने भी कुछ तो ग़लत किया था?
© नि:शब्द