...

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मोहब्बत..
तेरे जाने से भी मोहब्बत कम नहीं हुई ।
तेरे सामने ये आंखे नम नहीं हुई।
तेरे जाने से भी मोहब्बत कम नही हुई ।
सोचा था मेने आसान है मोहब्बत को भूलाना
तेरी यादों को कागज की तरह जलाना ।
तेरी बातों को अपनी रूह से मिटाना।
तेरे अहसास को खमोसी से दफनाना ।
सोचा था मेने आसान है
मोहब्बत को भुलाना।
सोचा शायद भूल जाऊंगी तूझे।
सपनो से मिताऊंगी तूझे ।
लेकिन इस बंद कमरे में
आज भी मेरी आखों से तू बह जाता है।
आज भी तेरा अहसास मेरी रूह को हो जाता है।
क्या मुमकिन है तूझे भुलाना।
क्या मुमकिन है तुझे यादों सेमिटाना।
तेरे जाने से मोहब्बत कम नहीं हुई।
तेरे सामने ये आंखे नम नही हुई..

Kajal Pathak..

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