एहसास-ए-वस्ल
इत्र गुलाब सी महक उठती है सांसे मेरी
जब भी मेरी सांसों में घुलती है सांसे तेरी
सुर्ख अंगार सी दहक उठती है सांसे मेरी
जब भी मेरी सांसों से बहकती है सांसे तेरी
बेधड़क धड़कन धड़कती है बेतहाशा
कांपता है...
जब भी मेरी सांसों में घुलती है सांसे तेरी
सुर्ख अंगार सी दहक उठती है सांसे मेरी
जब भी मेरी सांसों से बहकती है सांसे तेरी
बेधड़क धड़कन धड़कती है बेतहाशा
कांपता है...