" वसीयत "
" वसीयत "
जो लिखो ग़र वसीयत तो उसमें
खुद को तुम मेरे नाम लिख दो..!
अपने अधरों पर सुबह-शाम सिर्फ़
मेरा ही नाम लिख दो..!
जो घर लौटो तो मेरे गेसुओं में तुम
पिया अपने मोहब्बत का महक़ा सा
मोगरे का गजरा अपने...
जो लिखो ग़र वसीयत तो उसमें
खुद को तुम मेरे नाम लिख दो..!
अपने अधरों पर सुबह-शाम सिर्फ़
मेरा ही नाम लिख दो..!
जो घर लौटो तो मेरे गेसुओं में तुम
पिया अपने मोहब्बत का महक़ा सा
मोगरे का गजरा अपने...