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समझना अभी बाकी है...
क्यों ऐसा होता है की सब कुछ होकर भी तन्हा सा लगता है।
साथ होकर भी ना जाने क्यों सब बेगाना सा महसूस होता है।
रास्ते वही है धड़कने भी वही है फिर भी एक बेचैनी है।
प्यार वही है हमदर्द भी वही है फिर भी बातें अनकही है।
क्यों अब वो तड़प नहीं है क्यों अब वो धड़क नहीं है।
क्यों नजरों में वो तस्वीर नहीं है क्यों मिलने की ख्वाहिश नहीं है।
जो मोहब्बत शुरू हुई थी हद से गुजर जाने की
अब वो सुकून क्यों नहीं है अब वो फ़िक्र नहीं है।
सात वचनों के बंधन में जुड़ कर भी वो पवित्रता नहीं है।
रूह से मिलने के बाद भी ज़िस्म की चाहत रुकी क्यों नहीं है।
© Niharik@ ki kalam se✍️
साथ होकर भी ना जाने क्यों सब बेगाना सा महसूस होता है।
रास्ते वही है धड़कने भी वही है फिर भी एक बेचैनी है।
प्यार वही है हमदर्द भी वही है फिर भी बातें अनकही है।
क्यों अब वो तड़प नहीं है क्यों अब वो धड़क नहीं है।
क्यों नजरों में वो तस्वीर नहीं है क्यों मिलने की ख्वाहिश नहीं है।
जो मोहब्बत शुरू हुई थी हद से गुजर जाने की
अब वो सुकून क्यों नहीं है अब वो फ़िक्र नहीं है।
सात वचनों के बंधन में जुड़ कर भी वो पवित्रता नहीं है।
रूह से मिलने के बाद भी ज़िस्म की चाहत रुकी क्यों नहीं है।
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