नसीब का काग़ज़
ऐ खुदा........ कभी नसीब के आसमा पर बैठा कर
और कभी नीचे गिरा दिया.......
ऐसा क्या था मेरे नसीब के कागज पर......
जो तुने जलाकर राख बना दिया........
कभी हसीन बना दि जिन्दगी मेरी.....
और कभी गम के ढेरो में घुमा दिया.....
कभी किसी को सास में अपना बना कर.....
और कभी पल में पराया बना दिया.....
ये......... खुदा।
ऐसा क्या था मेरे नसीब के कागज पर.........
जो तुने जला कर राख बना दिया..........
जब प्यार था इस दिल में.............
तब कदर न किया.........
जब दिल लगा किसी और ...
और कभी नीचे गिरा दिया.......
ऐसा क्या था मेरे नसीब के कागज पर......
जो तुने जलाकर राख बना दिया........
कभी हसीन बना दि जिन्दगी मेरी.....
और कभी गम के ढेरो में घुमा दिया.....
कभी किसी को सास में अपना बना कर.....
और कभी पल में पराया बना दिया.....
ये......... खुदा।
ऐसा क्या था मेरे नसीब के कागज पर.........
जो तुने जला कर राख बना दिया..........
जब प्यार था इस दिल में.............
तब कदर न किया.........
जब दिल लगा किसी और ...