...

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"छवि इश्क की"
छवि इश्क की है इतनी प्यारी,
बदल देगी ये जिन्दगी सारी....
जब टूट गया, दूर सबसे हो गया.
सीखा सबक और ये जग-जीता,
अलग है तू उस हर रिश्ते से
जिसमे "मैं" की परछाई हो,
सच्चा हमसफर वही होता है,
जो हर पल आपके साथ ही हो,
रूह से जुड जाते है दोनो,
जिस्म भले साथ हो न हो,
कदर करेगी. फिकर करेगी,
हर पल तुझे ये सिखाती रहेगी;
जिस "मैं" को कभी समझी ना दुनिया
उससे तुझे ये वाकिक करेगी,
भाव समानता के ये लाके,
"मैं"" से तुझे थे साक्षात् करेगी,
तुलना करना, स्वार्थी होना,
भाव ये सब दूर करेगी,
अकेले आये थे, अकेले ही जायेगे,
अपने साथ अपने कर्म ले जायेगे,
छवि इश्क की है इतनी प्यारी,
बदल देगी ये जिन्दगी सारी....

"मैं" जिस पर नाज़ है सबको,
"मैं" की धुन में खोये सब हैं,
खुद से जुदा सभी है अब तक
जिस्म के गुलाम बने सब यहाँ पर,
रूह से ये तुम्हे रूबरू करेगी,
"मैं "नही कोई और यहाँ पर,
रूह ही हमारी '"मैं'" है होती,
ये तुमको तुमसे मिलवायेगी,
जीवन का आनन्द हे रूह से,
भूल गई ये दुनिया सारी,
छवि इश्क की इतनी प्यारी,
बदल देगी ये जिन्दगी सारी....


© shivshakti-thoughts