...

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"जीवन"
जो बीत गया है
वो अब दौर न आयेगा !

इन गुजरती राहो पर
अब कोई और न आयेगा !

मेरी जिंदगी की बस
इतनी सी कहानी है !

ये जो थोड़ी सी राख है
उसे गंगा में बहानी है !

मिट्टी का ये

तन है!

मिट्टी में मिल जाना है !


पल भर साँसे है

और पल भर ही बिताना है |


© रविन्द्र "समय"

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